Mantra For Pitra Dosh Nivaran & Pitra Shanti
पितृदोष
और पितृशांति के लिए मंत्र
:-
पितृदोष
क्या है और कैसे
होता है:- जब किसी
भी व्यक्ति की
कुंडली के नवम
पर जब सूर्य
और राहू की
युति हो रही
हो तो यह
समझा जाता है
कि उसके पितृ
दोष योग बन
रहा है | भारतीय
संस्कृति में पुराणों
और शास्त्रों के
अनुसार सूर्य तथा राहू
जिस भी भाव
में बैठते है,
उस भाव के
सभी फल नष्ट
हो जाते है
| यह योग व्यक्ति
की कुण्डली में
एक ऎसा दोष
है जो सभी
प्रकार के दु:खों को
एक साथ देने
की क्षमता रखता
है, इस दोष
को पितृ दोष
के नाम से
जाना जाता है
|
व्यक्ति की कुन्डली
का नवम् भाव
अथवा घर धर्म
का सूचक है
तथा यह पिता
का घर भी
होता है | इसलिए
अगर किसी की
कुंडली में नवम्
घर में ग्रहों
कि स्थिति ठीक
नहीं है अर्थात
खराब ग्रहों से
ग्रसित है तो
इसका तात्पर्य है
कि जातक के
पूर्वजों की इच्छायें
अधूरी रह गयीं
थी अत: इस
प्रकार का जातक
हमेशा तनाव में
रहता है एवं
उसे मानसिक, शारीरिक
तथा भौतिक समस्याओं
और संकटों का
सामना कारण पडता
है |