Sunday, February 15, 2015

The remedies of Kalsarp Yoga

The Remedies of Kalsarp Yoga


आपकी कुण्डली में कालसर्प योग है इस बात का पता कुण्डली में ग्रहों की स्थिति को देखकर पता चलता है लेकिन कई बार जन्म समय एवं तिथि का सही ज्ञान नहीं होने पर कुण्डली ग़लत हो जाती है. इस तरह की स्थिति होने पर कालसर्प योग आपकी कुण्डली में है या नहीं इसका पता कुछ विशेष लक्षणो से जाना जा सकता है.

कालसर्प के लक्षण (Signs you have Kalsarp Yoga)

कालसर्प योग से पीड़ित होने पर स्वप्न में मरे हुए लोग आते हैंमृतकों में अधिकांशत परिवार के ही लोग होते हैंइस योग से प्रभावित व्यक्ति को सपने में अपने घर पर परछाई दिखाई देती हैव्यक्ति को ऐसा लगता है मानो कोई उसका शरीर और गला दबा रहा हैसपने में नदी, तालाब, समुद्र आदि दिखाई देना भी कालसर्प योग से पीड़ित होने के लक्षण हैं

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस योग से प्रभावित व्यक्ति समाज एवं परिवार के प्रति समर्पित होता है वे अपनी निजी इच्छा को प्रकट नहीं करते और ही उन्हें अपने सुख से अधिक मतलब होता हैइनका जीवन संघर्ष से भरा होता हैबीमारी या कष्ट की स्थिति में अकेलापन महसूस होना और जीवन बेकार लगना ये सभी इस योग के लक्षण हैं

इस प्रकार की स्थिति का सामना अगर आपको करना पड़ रहा है तो संभव है कि आप इस योग से पीड़ित हैंइस योग की पीड़ा को कम करने के लिए इसका उपचार कराएं

कालसर्प योग कारण (Cause of Kalsarp Yoga)

कर्म फल की बात सभी शास्त्र और धर्म में बताया गया हैहम जैसा कर्म करते है उसी के अनुरूप हमें फल मिलता हैकालसर्प योग के पीछे भी यही मान्यता और धारणा हैमान्यताओं के अनुसार कालसर्प योग उस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है जिसने पूर्व जन्म में सांप को मारा हो या किसी बेकसुर जीव को इतना सताया हो कि उसकी मृत्यु हो गयी होइसके अलावा यह भी माना जाता है कि जब व्यक्ति की प्रबल इच्छा अधूरी रह जाती है तब व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पुनर्जन्म लेता है और ऐसे व्यक्ति को भी इस योग का सामना करना होता है

कालसर्प योग शांति (Remedies of Kalsarp Yoga)

कालसर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए शास्त्रो में जो उपाय बताए गये हैं उनके अनुसार प्रतिदिन पंचाक्षरी मंत्र "ऊँ नम शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का 108 जप करना चाहिएकाले अकीक की माला से राहु ग्रह का बीज मंत्र 108 बार जप करना चाहिएशनिवार के दिन पीपल की जड़ को जल से सिंचना चाहिएनागपंचमी के दिन व्रत रखकर नाग देव की पूजा करनी चाहिएमोरपंखधारी भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिएशनिवार या पंचमी तिथि के दिन 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करने चाहिएधातु से बने 108 नाग नागिन के जोड़े बहते जल में प्रवाहित करने चाहिएसोमवार के दिन किसी विद्वान पंडित से रूद्राभिषेक कराना चाहिएकालसर्प गायत्री मंत्र का जप करना चाहिएइन उपायों से काल सर्प और सर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव में कमी आती है और जीवन में इनके कारण आने वाले अवरोधों का सामना नहीं करना होता है

जो व्यक्ति कालसर्प योग में होते हैं वे सांप से भयभीत रहते हैंइन्हें सांप काटने का डर लगा रहता हैसपने में शरीर पर सांप लिपटा होना दिखाई देना या सांप का सपना आना यह भी इस योग के लक्षण हैंऊँचाई पर जाने पर अनजाना भय सताना, घबराहट और बेचैनी होना तथा सुनसान स्थानों पर जाने से मन में भय आना कालसर्प का लक्षण माना जाता है.

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