The Remedies of Kalsarp Yoga
आपकी कुण्डली में कालसर्प योग है इस बात का पता कुण्डली में ग्रहों की स्थिति को देखकर पता चलता है लेकिन कई बार जन्म समय एवं तिथि का सही ज्ञान नहीं होने पर कुण्डली ग़लत हो जाती है. इस तरह की स्थिति होने पर कालसर्प योग आपकी कुण्डली में है या नहीं इसका पता कुछ विशेष लक्षणो से जाना जा सकता है.
कालसर्प के लक्षण (Signs you have Kalsarp Yoga)
कालसर्प योग से पीड़ित होने पर स्वप्न में मरे हुए लोग आते हैं. मृतकों में अधिकांशत परिवार के ही लोग होते हैं. इस योग से प्रभावित व्यक्ति को सपने में अपने घर पर परछाई दिखाई देती है. व्यक्ति को ऐसा लगता है मानो कोई उसका शरीर और गला दबा रहा है. सपने में नदी, तालाब, समुद्र आदि दिखाई देना भी कालसर्प योग से पीड़ित होने के लक्षण हैं.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस योग से प्रभावित व्यक्ति समाज एवं परिवार के प्रति समर्पित होता है वे अपनी निजी इच्छा को प्रकट नहीं करते और न ही उन्हें अपने सुख से अधिक मतलब होता है. इनका जीवन संघर्ष से भरा होता है. बीमारी या कष्ट की स्थिति में अकेलापन महसूस होना और जीवन बेकार लगना ये सभी इस योग के लक्षण हैं.
इस प्रकार की स्थिति का सामना अगर आपको करना पड़ रहा है तो संभव है कि आप इस योग से पीड़ित हैं. इस योग की पीड़ा को कम करने के लिए इसका उपचार कराएं.
कालसर्प योग कारण (Cause of Kalsarp Yoga)
कर्म फल की बात सभी शास्त्र और धर्म में बताया गया है. हम जैसा कर्म करते है उसी के अनुरूप हमें फल मिलता है. कालसर्प योग के पीछे भी यही मान्यता और धारणा है. मान्यताओं के अनुसार कालसर्प योग उस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है जिसने पूर्व जन्म में सांप को मारा हो या किसी बेकसुर जीव को इतना सताया हो कि उसकी मृत्यु हो गयी हो. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जब व्यक्ति की प्रबल इच्छा अधूरी रह जाती है तब व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पुनर्जन्म लेता है और ऐसे व्यक्ति को भी इस योग का सामना करना होता है.
कालसर्प योग शांति (Remedies of Kalsarp Yoga)
कालसर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए शास्त्रो में जो उपाय बताए गये हैं उनके अनुसार प्रतिदिन पंचाक्षरी मंत्र "ऊँ नम शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का 108 जप करना चाहिए. काले अकीक की माला से राहु ग्रह का बीज मंत्र 108 बार जप करना चाहिए. शनिवार के दिन पीपल की जड़ को जल से सिंचना चाहिए. नागपंचमी के दिन व्रत रखकर नाग देव की पूजा करनी चाहिए. मोरपंखधारी भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. शनिवार या पंचमी तिथि के दिन 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. धातु से बने 108 नाग नागिन के जोड़े बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. सोमवार के दिन किसी विद्वान पंडित से रूद्राभिषेक कराना चाहिए. कालसर्प गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए. इन उपायों से काल सर्प और सर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव में कमी आती है और जीवन में इनके कारण आने वाले अवरोधों का सामना नहीं करना होता है.
जो व्यक्ति कालसर्प योग में होते हैं वे सांप से भयभीत रहते हैं. इन्हें सांप काटने का डर लगा रहता है. सपने में शरीर पर सांप लिपटा होना दिखाई देना या सांप का सपना आना यह भी इस योग के लक्षण हैं. ऊँचाई पर जाने पर अनजाना भय सताना, घबराहट और बेचैनी होना तथा सुनसान स्थानों पर जाने से मन में भय आना कालसर्प का लक्षण माना जाता है.
कालसर्प योग से पीड़ित होने पर स्वप्न में मरे हुए लोग आते हैं. मृतकों में अधिकांशत परिवार के ही लोग होते हैं. इस योग से प्रभावित व्यक्ति को सपने में अपने घर पर परछाई दिखाई देती है. व्यक्ति को ऐसा लगता है मानो कोई उसका शरीर और गला दबा रहा है. सपने में नदी, तालाब, समुद्र आदि दिखाई देना भी कालसर्प योग से पीड़ित होने के लक्षण हैं.
कर्म फल की बात सभी शास्त्र और धर्म में बताया गया है. हम जैसा कर्म करते है उसी के अनुरूप हमें फल मिलता है. कालसर्प योग के पीछे भी यही मान्यता और धारणा है. मान्यताओं के अनुसार कालसर्प योग उस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है जिसने पूर्व जन्म में सांप को मारा हो या किसी बेकसुर जीव को इतना सताया हो कि उसकी मृत्यु हो गयी हो. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जब व्यक्ति की प्रबल इच्छा अधूरी रह जाती है तब व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पुनर्जन्म लेता है और ऐसे व्यक्ति को भी इस योग का सामना करना होता है.
कालसर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए शास्त्रो में जो उपाय बताए गये हैं उनके अनुसार प्रतिदिन पंचाक्षरी मंत्र "ऊँ नम शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का 108 जप करना चाहिए. काले अकीक की माला से राहु ग्रह का बीज मंत्र 108 बार जप करना चाहिए. शनिवार के दिन पीपल की जड़ को जल से सिंचना चाहिए. नागपंचमी के दिन व्रत रखकर नाग देव की पूजा करनी चाहिए. मोरपंखधारी भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. शनिवार या पंचमी तिथि के दिन 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. धातु से बने 108 नाग नागिन के जोड़े बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. सोमवार के दिन किसी विद्वान पंडित से रूद्राभिषेक कराना चाहिए. कालसर्प गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए. इन उपायों से काल सर्प और सर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव में कमी आती है और जीवन में इनके कारण आने वाले अवरोधों का सामना नहीं करना होता है.
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