Saturn Sagittarius Transit 2017 Predictions
शनि का धनु राशि में प्रवेश 26 January 2017
■ मेष
मेष लग्न में दशम और एकादश भाव का स्वामी शनि अब आपके अष्टम भाव से नवम
भाव अर्थात भाग्य स्थान में प्रवेश करेगा जहाँ से इसकी सीधी दृष्टि एकादश
भाव में , पराक्रम भाव में तथा छठे भाव में होगी . शनि की इस स्थिति के
कारण क्रोध और हठ बढेगा . गूढ़ और प्राच्य विद्याओं में रूचि बढ़ेगी , कार्य –
व्यापार में लाभ देगा तथा धन का आगमन बेहतर करेगा परन्तु आपके पराक्रम में
कुछ कमी करेगा . करीबी लोगों से वाद – विवाद भी कराएगा . शत्रु परेशान कर
सकते हैं . कोर्ट कचहरी के मामलों में असफलता का और अपमान का योग बनेगा .
कोई असाध्य रोग भी परेशान कर सकता है . कुछ लोगों को राजदंड संभव है .
यात्रा में धन की हानि संभावित है . आपकी योजनायें और प्रयास बहुत सार्थक
नहीं होंगे जिसके कारण दुःख और अप्रसन्नता होने की प्रबल संभावना बनेगी .
घर में किसी बड़े – बुजुर्ग या पिता का शोक हो सकता है . सहायक कर्मचारी ,
करीबी मित्र भी मानसिक कष्ट देंगे . कुल मिलाकर समय सावधानी का है . सबकुछ
नकारात्मक होने के बावजूद अपना मकान बनाने की संभावना प्रबल रहेगी तथा जो
लोग धार्मिक कार्यों से जुड़े हुए हैं उन्हें लाभ अधिक होगा।
■ वृष
वृषभ लग्न वालों के लिए शनि अत्यंत ही योगकारक ग्रह है क्योंकि यह आपके
भाग्य और दशम भाव का स्वामी है , परन्तु अब यह आपके अष्टम भाव में प्रवेश
करेगा . शनि की इस स्थिति से आप की रूचि नए कार्यों और नवीन खोज या
आविष्कारों में अधिक होगी , कुछ लोग नयी योजनायें बनायेगे तथा नए प्रयोग
करेंगे अपने कार्यों में और इन प्रयोगों से आपको लाभ भी मिलेगा . शनि के इस
भाव में आने सब कुछ होते हुए भी मानसिक सवेदना बढ़ी – चढ़ी रहेगी और चैन से
भोजन नहीं कर पाएंगे कोई ना कोई तनाव घेरे रहेगा . गूढ़ विद्याओं की ओर रूचि
बढ़ेगी .इस भाव से शनि की दृष्टि आपके दशम भाव पर होगी जिसके फलस्वरूप
सामाजिक – राजनैतिक – आर्थिक और व्यवसायिक उन्नति अवश्य होगी . शनि के इस
भाव में प्रवेश से किसी नजदीकी रिश्तेदार तथा कुछ लोगों को जीवन साथी के
बिछोह का शोक हो सकता है . कुछ लोगों के लिए अचानक धन हानि का योग भी बनेगा
. यदि कुंडली में शनि अच्छा नहीं है तो यह शनि बहुत अपमान की स्थिति
उत्पन्न कर सकता है . वृषभ लग्न के वे जातक जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है
उनके लिए यह अत्यंत ही कष्टकारी होगा।
■ मिथुन
मिथुन लग्न
में शनि अष्टम और नवम भाव का स्वामी है जो अब आपके छठे भाव से सप्तम भाव
में प्रवेश करेगा . शनि की इस स्थिति के कारण आपको आध्यात्मिक और आर्थिक
विकास के अच्छे अवसर मिलेंगे परन्तु किसी भी कार्य में प्रथम प्रयास में
सफलता नहीं मिलेगी अर्थात हर कार्य में कुछ रूकावट के बाद ही सफलता का योग
बनेगा अतः आपको निरंतरता बनाये रखनी पड़ेगी . विवाह के योग्य जातकों के लिए
यह शनि रुकावटें पैदा करेगा. शनि के इस भाव में गोचर के दौरान आपकी सोच और
प्रवृत्ति कुछ रहस्यात्मक रहेगी आप ऊपर से कुछ और तथा अन्दर से कुछ और ही
रहेंगे . जो सोचेंगे वह बोलेंगे नहीं और जो बालेंगे वह सोचेंगे नहीं अर्थात
कहनी और कथनी में बहुत अंतर संभावित है . खर्च बढेगा . परिवार में कुछ
विवाद की स्थिति उत्पन्न होगी तथा परिवार का कोई सदस्य विद्रोह कर सकता है
आपके खिलाफ . स्वास्थ्य के लिए भी यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं है . जीवन
साथी और पिता के स्वास्थ्य के लिए भी यह स्थिति ठीक नहीं है . कुछ अप्रिय
घटनायें घटित हो सकती है विशेष कर वर्ष के प्रारंभ और अंत में।
■ कर्क
कर्क लग्न के जातकों के लिए शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी है और
मारकेश है जो अब आपके छठे भाव में आ रहा है इस कारण एक ओर जहाँ विपरीत
राजयोग का सृजन करेगा वहीँ यह वैवाहिक जीवन में अत्यंत ही कठिनाइयाँ
उत्पन्न करेगा . यह एक ओर जहाँ आर्थिक मामलों के लिए अत्यन ही बेहतर है वही
कुछ लोगों की साझेदारी टूट भी सकती है परन्तु कर्ज और रोग से मुक्ति यह
शनि जरुर दिलाने का प्रयास करेगा साथ ही यदि कोई शत्रु आपको परेशान कर रहा
है तो यह शनि उसको समाप्त करने में सक्षम होगा . धार्मिक यात्राओं का योग
बनेगा , विदेश यात्रा का योग बनेगा . यदि बहुत दिनों से एक ही स्थान पर बने
हुए हैं तो स्थान परिवर्तन का योग भी बनेगा . कुछ अनावश्यक खर्च भी
संभावित हैं . कमर के निचले हिस्से में अंग – भंग होने का योग बनेगा .
विवाह योग्य लोगों की बात इस समय बनेगी नहीं , वैवाहिक जीवन के लिए यह
स्थिति अत्यंत ही कष्टकारी है यदि शनि का दशा –अंतर भी है और जन्म कुंडली
में भी सप्तम भाव दूषित है तो विवाह –विच्छेद निश्चित है और साथ ही मामला
कोर्ट कचहरी तक भी जा सकता है , पहले ही उपचार करें।
■ सिंह
सिंह लग्न के जातकों के लिए शनि छठे और सप्तम भाव का स्वामी है अब यह आपके
पंचम भाव में प्रवेश करेगा यहाँ से इसकी सीधी दृष्टि आपके सप्तम भाव ,
एकादश भाव तथा दूसरे भाव पर होगी . शनि की यह स्थिति आपके वैवाहिक जीवन के
लिए बेहतर है . विवाह योग्य लोगों का विवाह संभव है . यह शनि नए प्रेम
सम्बन्ध भी उत्पन्न करेगा. यह शनि बहुत से लोगों को अनैतिक कार्यों की ओर
रूचि बढायेगा कुंडली में बुध की स्थिति अच्छी नहीं है बहुत से लोग खूब –
हेरा फेरी और अनैतिक कार्यों से धन प्राप्त करने को प्रेरित होंगे . यह शनि
संतान – शिक्षा और आर्थिक मामलों के लिए अत्यंत ही कष्टकारी स्थिति
उत्पन्न करेगा . संतान के कारण कष्ट संभावित है साथ ही गर्भवती महिलाओं को
बेहद सावधानी रखने की आवश्यकता होगी . शिक्षा और प्रतियोगिता में सफलता के
लिए आपको बहुत प्रयास करना पड़ेगा कुछ लोगों को अनावश्यक रुकावटों का सामना
करना पड़ेगा . कुछ लोगों को झूठे आरोपों का सामना करना पड़ सकता है . कोई
करीबी मित्र धोखा दे सकता है और इसके कारण आपको अत्यंत ही विषम परिस्थिति
का सामना करना पड़ सकता है, अतः सावधान रहें।
■ कन्या
कन्या
लग्न के जातकों के लिए शनि पंचम और षष्ठ भाव का स्वामी है जो अब तीसरे से
चतुर्थ भाव में प्रवेश करेगा यहाँ से यह आपके छठे भाव , दशम भाव तथा आपके
लग्न पर सीधी दृष्टि डालेगा जिसके परिणाम स्वरूप शत्रु तो परास्त होंगे
परन्तु माता – पिता के स्वास्थ्य तथा उनके साथ संबंधों के मामले में यह ठीक
नहीं है . इस समय आपको क्रोध बहुत आ सकता है , छोटी – छोटी बातों पर आप
भड़क उठेंगे साथ ही थोड़ी स्वार्थपरता भी बढ़ेगी. मकान , वाहन तथा पैतृक
संपत्ति के मामलों में रूकावट आएगी अतः इनसे सम्बंधित कार्यों में सफलता के
लिए बहुत और निरंतर प्रयास करना पड़ेगा . पारिवारिक सुख में कुछ कमी महसूस
करेंगे . ह्रदय रोगियों के लिए शनि की यह स्थिति बिलकुल ठीक नहीं है .
आर्थिक मामलों में उतार चढाव दोनों का ही सामना करना पड़ेगा अर्थात स्थिरता
में कमी रहेगी , कुछ लोगों को अपने घर से दूर जाने की स्थिति भी बनेगी .
वाहन दुर्घटना का भय बना रहेगा . यदि शनि या केतु की दशा – अंतर है तो
कर्यों में बहुत रूकावट आएगी . जिन्हें संतान सुख प्राप्त होगा इस समय उनके
भाग्य का उदय होगा संतान प्राप्ति के बाद और विलम्ब से ही सही परन्तु आपको
परिश्रम का फल अवश्य मिलेगा।
■ तुला
तुला लग्न के जातकों
के लिए शनि चतुर्थ और पंचम भाव का स्वामी होने कारण और लग्नेश का मित्र
होने के कारण अत्यंत ही योगकारी है . यह शनि अब आपके दूसरे भाव से तीसरे
भाव में प्रवेश करेगा . तुला लग्न के जातकों के लिए शनि का यह राशि
परिवर्तन अत्यन ही शुभ फलदायी होने वाला है . यह आपके पराक्रम को बढ़ाएगा .
इस समय आप जिस कार्य को अपने हाथ में लेंगे उसमे सफलता प्राप्त होगी . यह
शनि आपको बौद्धिक और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार की उर्जा से ओत – प्रोत कर
देगा . शत्रु परास्त होंगे और लगभग सभी घटनायें आपके अनुकूल घटित होंगी .
पद – प्रतिष्ठा – मान – सम्मान में अभूतपूर्व वृद्धि होगी . आजीविका के नए
साधन और स्रोत उत्पन्न होंगे . जिन लोगों को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से
समस्यायें उत्पन्न होती थी या कर्मचारी टिकते नहीं थे उनकी यह समस्या अब
समाप्त होगी . नए वाहन का योग और सुख प्राप्त होगा . कुछ लोगों को इस समय
संतान की प्राप्ति भी होगी और शिक्षा तथा प्रतियोगिता में भी उत्कृष्ट
सफलता मिलेगी . रुके हुए कार्य अचानक बनने लगेंगे . अपने भाई – बहनों तथा
अति करीबी मित्रो का स्नेह और सहयोग प्राप्त होगा आपको . धार्मिक और
सामाजिक कार्यों की ओर रुझान बढेगा . शनि की यह स्थिति केवल आपके छोटे भाई
के लिए दुखद और कष्टदायी हो सकती है।
■ वृश्चिक
वृश्चिक
लग्न के जातकों के लिए शनि तृतीय और चतुर्थ भाव का स्वामी है तथा मंगल से
शत्रुता का भाव रखता है . यह अब आपके लग्न से दूसरे भाव में प्रवेश करेगा .
यहाँ से इसकी दृष्टि आपके चतुर्थ भाव पर , अष्टम पर और आय स्थान पर होगी .
शनि की यह स्थिति भौतिक सुख – सुविधाओं के लिए अद्भुत होने वाली है . यदि
किसी विपरीत ग्रह की दशा नहीं है तो इस समय आप अपनी क्षमता और प्रतिभा के
अनुकूल खूब धन कमाएंगे . शनि के इस गोचर के दौरान आपको धन – पद – प्रतिष्ठा
– भूमि – भवन – वाहन – सुख – ऐश्वर्य अर्थात भौतिक जगत से जुड़ी हुई लगभग
हर वस्तु प्राप्त होगी . इस शनि का नकारात्मक पक्ष है कि यह आपके अन्दर
अहंकार को जन्म दे सकता है तथा वाणी कठोर और कडवी हो सकती है . सिर्फ इस
समय शुक्र कि यदि दशा हुई तो यह थोडा घातक और कष्टकारी हो सकता है क्योंकि
यह अकारण वाद – विवाद , धन हानि तथा स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्यायें
उत्पन्न कर सकता है . माँ के प्रति आपके अन्दर प्रेम और आदर का भाव उत्पन्न
होगा . कुछ लोगों के लिए यह शनि बहुत लम्बे समय तक स्थान परिवर्तित कर
सकता है या लम्बे समय के लिए घर – परिवार से दूर रहना पड़ सकता है . जन्म
कुंडली के समय यदि शनि खराब है तो अच्छे परिणामों में कुछ कमी आएगी तथा कुछ
हानि का योग भी बनेगा।
■ धनु
धनु लग्न के जातकों के लिए
शनि द्वितीय और तृतीय भाव का स्वामी है और सहायक मारकेश की भूमिका अदा करता
है . यह शनि आपके द्वादश भाव से अब लग्न पर आ रहा है . लग्न में आये हुए
इस शनि की दृष्टि आपके तृतीय , सप्तम और दशम भाव पर पूर्ण रूप से पड़ेगी .
शनि की यह स्थिति यदि कुंडली में गुरु की स्थिति अच्छी है तो आध्यात्मिकता
और दार्शनिकता के चरम पर पहुंचा सकता है . मन में धार्मिक , आध्यात्मिक
भावनाओं का उदय होगा . सबको समान दृष्टि से देखेंगे साथ ही परिवार तथा समाज
के लिए अपने उत्तरदायित्वों के प्रति सजग रहेंगे और अपने कर्तव्यों के
निर्वहन की सोचेंगे भी और उन्हें पूरा करने में समर्थ भी होंगे . शनि की यह
स्थिति आपके लिए धन , यश , कीर्ति , विद्या और बुद्धि की वृद्धि करने वाली
होगी . वैवाहिक जीवन के लिए शनि की यह स्थिति थोड़ी प्रतिकूल रहेगी . जीवन
साथी के स्वास्थ्य से सम्बंधित कुछ समस्या उत्पन्न हो सकती है . यदि
सप्तमेश की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है तो कुछ लोग जो विवाह के योग्य हैं
उनका विधवा /विधुर या तलाकशुदा स्त्री/पुरुष से संभावित है।
■ मकर
मकर लग्न में शनि लग्नेश और द्वितीयेश है यह शनि अब आपके द्वादश भाव में
प्रवेश करेगा जिसके कारण इसकी सीधी दृष्टि आपके दूसरे भाव पर , छठे भाव पर
तथा भाग्य स्थान पर होगी . शनि की स्थिति कहीं से भी सुखद नहीं है . भारी
विषमताओं का सामना करना पड़ेगा . आय तो होगी पर खर्च उससे भी अधिक होगा .
आर्थिक स्थिति संभले नहीं संभलेगी . यदि शनि की ही दशा या अंतर दशा चल रही
हो तो भारी कष्ट संभावित है. यदि कुंडली में भी शनि ठीक नहीं है तो आपको
दूसरों का आश्रय लेना पड़ सकता है . आपका धन कोर्ट – कचहरी और अस्पतालों में
खर्च होगा . परिवार में भय – तनाव और शोक का वातावरण बनेगा . कोई अप्रिय
और दुखद घटना घट सकती है . संतान को भी कष्ट संभावित है . यात्रायें
निरर्थक और कष्टकारी होंगी . घर से दूर जाना पड़ सकता है वह भी किसी विपरीत
परिस्थिति के कारण . बहुत धैर्य और संयम से चलने की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि
अधिकांशतः कार्यों में असफलता, रूकावट और बहुत विलम्ब होगा . शिक्षा –
प्रतियोगिता – पदोन्नति के लिए बहुत अधिक प्रयास करना पड़ेगा . कुल मिलाकर
यह शनि कष्टकारी है और आपको पहले ही उपचार कराना चाहिए तथा बहुत संयम से
काम लेना चाहिए।
■ कुम्भ
कुम्भ लग्न के जातकों के लिए शनि
लग्न और द्वादश भाव का स्वामी है जो अब आपके एकादश भाव में गोचर करेगा .
शनि के यहाँ आने से इसकी सीधी दृष्टि आपके लग्न , पंचम और अष्टम भाव पर
पड़ेगी . संतान की स्थिति को छोड़ दूँ तो यह शनि आपके लिए अत्यंत ही
सौभाग्यशाली रहने वाला है . धन का आगमन प्रचुर मात्रा में होगा . इस समय
आपको माता – पिता का सहयोग और आशीर्वाद प्राप्त होगा . जीवन साथी का
व्यवहार भी सहयोगात्मक रहेगा . इस समय आपकी बौद्धिक क्षमता बहुत बेहतर
रहेगी . मानसिक स्थिति स्थिर रहेगी जिसके कारण बेहतर निर्णय ले सकेंगे,
विषम परिस्थितियों से निकलने में समर्थ होंगे तथा दूरगामी योजनायें बना
पाने में स्कश्म होंगे. समाज में मान – प्रतिष्ठा में अभूतपूर्व वृद्धि
होगी . गर्भवती महिलायें थोड़ी सतर्कता बरतें और किसी प्रकार की लापरवाही ना
करें . संतान के स्वास्थ्य की चिंता हो सकती है और हो सकता है कि आपकी
संतान आपकी बात ना सुनें . यदि आपक किसी लम्बी बीमारी के शिकार थे तो इस
समय वह धीरे – धीरे ठीक होगी तथा आपके आयु की वृद्धि होगी . विचारों में
आध्यात्मिकता का समावेश रहेगा तथा नेक राह पर स्वयं भी चलेंगे और दूसरों को
प्रेरित भी करेंगे।
■ मीन
मीन लग्न वालों के लिए शनि
एकादश और द्वादश भाव का स्वामी है जो अब आपके दशम भाव में प्रवेश करेगा और
करीब 3 वर्षों तक इसे प्रभावित करेगा . शनि के दशम भाव में होने से इसकी
तीसरी दृष्टि आपके द्वादश भाव पर , चतुर्थ भाव और सप्तम भाव पर पूर्ण रूप
से होगी. शनि की यह स्थिति आपको मिश्रित परिणाम देने वाली होगी . आपको लगभग
हर कार्यों में सफलता तो मिलेगी परन्तु इसका अंत अच्छा नहीं बल्कि दुखद
होगा . धन यदि आएगा तो उससे अधिक मात्रा में जायेगा . कर्ज यदि चाहेंगे तो
मिल जायेगा परन्तु अंत में यह अत्यधिक तनाव और अपमान का कारण भी बनेगा . इस
समय थोड़े प्रयास से ही पद – प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो जाएगी परन्तु पुनः
इसका अंत अत्यंत ही कष्टकारी और प्रतिष्ठा से कई गुना अधिक बदनामी का भय
उत्पन्न करने वाला होगा . अतः इस समय कुछ प्राप्त हो तो उसका बहुत दूर तक
मूल्यांकन करना आवश्यक होगा . विवाह योग्य लोगों को विलम्ब या रुकावटों का
सामना करना पड़ेगा . वैवाहिक जीवन में कष्ट उठाना पड़ सकता है। रोज – रोज की
कडवाहट का सामना करना पड़ेगा। शिक्षा के क्षेत्र में भी बाधाओं का सामना
करना पड़ेगा। शत्रु बहुत अधिक परेशान कर सकते हैं। माता को बहुत अधिक
शारीरिक कष्ट हो सकता है।
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