Planets according to relatives
ग्रह अपने आसपास
रिश्तेदार के रूप
में है.
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ग्रह का रूप
अपने रिस्तेदार के
रूप में भी
सामने आता है,
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सूर्य
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ग्रहों में सूर्य को पिता के स्वरूप में जाना जाता है ज्यादातर सभी जगह पुत्र का नाम पिता के द्वारा ही दिया जाता है, पिता के द्वारा ही जन्म सम्भव है,यानी सूर्य पिता है,सूर्य आत्मा और सांस को देने वाला है, जो एक दिन और रात में इक्कीस हजार छ: सौ बार सांस का आना जाना है,वह केवल सूर्यपि रूपी पिता के द्वारा दिये गये जीवन के द्वारा ही संभव है,नाम जाति गोत्र बनावट सब पिता पर ही निर्भर करते है,
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ग्रहों में सूर्य को पिता के स्वरूप में जाना जाता है ज्यादातर सभी जगह पुत्र का नाम पिता के द्वारा ही दिया जाता है, पिता के द्वारा ही जन्म सम्भव है,यानी सूर्य पिता है,सूर्य आत्मा और सांस को देने वाला है, जो एक दिन और रात में इक्कीस हजार छ: सौ बार सांस का आना जाना है,वह केवल सूर्यपि रूपी पिता के द्वारा दिये गये जीवन के द्वारा ही संभव है,नाम जाति गोत्र बनावट सब पिता पर ही निर्भर करते है,
चन्द्रमा
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माता के रूप में विद्यमान है,ह्रदय की धडकन माता के द्वारा दी गयी है,माता नही होती तो कोख में कौन रखता,और फ़िर नौ माह दस दिन तक अपनी कोख में रखने के बाद पूरा रूप देकर और जीवन के लिये सांस का आदान प्रदान करने के बाद जब तक शादी नही हो जाती,और शादी के बाद भी अपना ह्रदय संतान के प्रति हर समय धडकाने वाली मां जो चंद्रमा के रूप में माता ही है जो सूर्य यानी पिता से रोशनी लेने के बाद रात में भी जीवन को प्रकाश युक्त करती है,वही प्रकाश ही आत्मा है,तो जीव के अन्दर विद्यमान रहता है,
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माता के रूप में विद्यमान है,ह्रदय की धडकन माता के द्वारा दी गयी है,माता नही होती तो कोख में कौन रखता,और फ़िर नौ माह दस दिन तक अपनी कोख में रखने के बाद पूरा रूप देकर और जीवन के लिये सांस का आदान प्रदान करने के बाद जब तक शादी नही हो जाती,और शादी के बाद भी अपना ह्रदय संतान के प्रति हर समय धडकाने वाली मां जो चंद्रमा के रूप में माता ही है जो सूर्य यानी पिता से रोशनी लेने के बाद रात में भी जीवन को प्रकाश युक्त करती है,वही प्रकाश ही आत्मा है,तो जीव के अन्दर विद्यमान रहता है,
मंगल
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भाइयों के रूप में है, और कहा जाता है,कि भाई बडा दाहिनी बांह होता है,और छोटा भाई बायीं भुजा होता है,पराक्रम की बारी आती है,तो फ़ौरन भाई की बात सामने आ जाती है,
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भाइयों के रूप में है, और कहा जाता है,कि भाई बडा दाहिनी बांह होता है,और छोटा भाई बायीं भुजा होता है,पराक्रम की बारी आती है,तो फ़ौरन भाई की बात सामने आ जाती है,
बुध
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बहिन,बुआ बेटी के रूप में विद्यमान होती है.बहिन बुआ बेटी का काम ही आगे से आगे सम्बन्ध बनाकर खुद की रिस्तेदारी में बढोत्तरी करना है,जातक के जानकारों को जानने के लिये सबसे पहले बहिन बुआ बेटी का नाम ही आगे आता है,
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बहिन,बुआ बेटी के रूप में विद्यमान होती है.बहिन बुआ बेटी का काम ही आगे से आगे सम्बन्ध बनाकर खुद की रिस्तेदारी में बढोत्तरी करना है,जातक के जानकारों को जानने के लिये सबसे पहले बहिन बुआ बेटी का नाम ही आगे आता है,
गुरु
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को परमपिता के रूप में जाना जाता है,उसके बिना इस शरीर में जो भी सांस आती है,जाती का लेखा जोखा कोई नही रख सकता है,हर दिन हर सांस का लेखा जोखा वही परमपिता परमात्मा ही रखता है,कि किस सांस के आने के समय क्या किया है,अच्छा किया है,या बुरा किया है,
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को परमपिता के रूप में जाना जाता है,उसके बिना इस शरीर में जो भी सांस आती है,जाती का लेखा जोखा कोई नही रख सकता है,हर दिन हर सांस का लेखा जोखा वही परमपिता परमात्मा ही रखता है,कि किस सांस के आने के समय क्या किया है,अच्छा किया है,या बुरा किया है,
शुक्र
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शुक्र पत्नी के रूप में सामने होता है,जमीन के रूप में होता है,धन ऐश्वर्य और भौतिक सम्पत्ति के रूप में सामने होता है,
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शुक्र पत्नी के रूप में सामने होता है,जमीन के रूप में होता है,धन ऐश्वर्य और भौतिक सम्पत्ति के रूप में सामने होता है,
शनि
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कर्म के रूप में सामने होता है,घर मकान जायदाद के रूप में सामने होता है,बुजुर्ग और नौकर, श्रमिक के रूप में सामने होता है
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कर्म के रूप में सामने होता है,घर मकान जायदाद के रूप में सामने होता है,बुजुर्ग और नौकर, श्रमिक के रूप में सामने होता है
राहु
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अपने परिवार में ससुराली जन के रूप में सामने होता है
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अपने परिवार में ससुराली जन के रूप में सामने होता है
केतु
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लडके के रूप में,भान्जे के रूप में और भतीजे तथा मामा के रूप में जाना जाता है
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लडके के रूप में,भान्जे के रूप में और भतीजे तथा मामा के रूप में जाना जाता है
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अत: हमारे आपसी रिश्तों का अच्छे और खराब सम्बन्धों का विचार भी इन ग्रहों के जन्मपत्रिका में अच्छे और बुरे प्रभावों के अनुसार भी जाना जा सकता है कुंडली में इनकी स्थिति जिस प्रकार होगी वेसे ही अच्छे बुरे सम्बन्ध हमारे आपसी सम्बन्धियों से होंगे जिसके लिये पूर्ण रूप से कुंडली विश्लेषण भी अनिवार्य है
अत: हमारे आपसी रिश्तों का अच्छे और खराब सम्बन्धों का विचार भी इन ग्रहों के जन्मपत्रिका में अच्छे और बुरे प्रभावों के अनुसार भी जाना जा सकता है कुंडली में इनकी स्थिति जिस प्रकार होगी वेसे ही अच्छे बुरे सम्बन्ध हमारे आपसी सम्बन्धियों से होंगे जिसके लिये पूर्ण रूप से कुंडली विश्लेषण भी अनिवार्य है
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